उत्तर प्रदेश की सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति
नियम 232-क-समिति के कृत्य-
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राज्य के सभी सार्वजनिक उपक्रमों तथा निगमों के कार्य-संचालन की जांच करने के उत्तर प्रदेश विधान मण्डल की सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति होगी।
इस समिति के निम्नांकित कृत्य होंगे:-
(क) उपरोक्त सार्वजनिक उपक्रमों तथा निगमों की आय तथा व्यय दिखाने वाले लेखा विवरणों की तथा संतुलन-पत्रों और लाभ एवं हानि के लेखों के ऐसे विवरणों की जांच करना जिन्हें तैयार करने की राज्यपाल ने अपेक्षा की हो या जो किसी विशेष सार्वजनिक उपक्रमों या निगम के लिये वित्तीय व्यवस्था विनियमित करने वाले संविहित नियमों के उपबन्धों के अन्तर्गत तैयार किये गये हों और उन पर महालेखाकार, उत्तर प्रदेश द्वारा दिये गये प्रतिवेदनों की, यदि कोई हों, जांच करना।
(ख) उपरोक्त उपक्रमों एवं निगमों की स्वायत्तता को ध्यान में रखते हुए उनकी दक्षता की जांच ऐसे दृष्टिकोण से करना कि क्या उनका प्रबन्ध ठोस व्यावसायिक सिद्धान्तों तथा व्यापारिक कार्य प्रणाली के अनुसार किया जा रहा है ।
(ग) उपरोक्त उपक्रमों एवं निगमों के सम्बन्ध में ऐसे अन्य कर्त्तव्य़ जो अन्यथा लोक लेखा समिति और प्राक्कलन समिति के कार्य क्षेत्र में आते हों और जिन्हें विधान सभा के अध्यक्ष इस समिति को समय-समय पर निर्दिष्ट करें:
किन्तु प्रतिबन्ध यह है कि समिति निम्नलिखित मामलों की जांच नहीं करेगी:
(1) शासन की नीति के प्रमुख मामले जो सार्वजनिक उपक्रमों के व्यावसायिक कार्यों से भिन्न हों,
(2) दिन-प्रतिदिन के प्रशासनिक मामले,
(3) ऐसे मामले जो सम्बन्धित सार्वजनिक उपक्रम/ निगम की स्थापना करने वाले अधिनियम द्वारा किसी निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार निस्तारित किये जाने हों।
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नियम 232-ख-समिति का गठन-
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समिति में सभापति को शामिल करते हुए ३५ सदस्य होंगे, जिनमें से २५ सदस्य विधान सभा के और १० सदस्य विधान परिषद् के होंगे, जो प्रत्येक सदन के सदस्यों में से आनुपातिक प्रतिनिधित्व के सिद्वान्त के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे:
परन्तु कोई मंत्री समिति के सदस्य नहीं होंगे, और यदि समिति के कोई सदस्य मंत्री नियुक्त किये जायें तो ऐसी नियुक्ति की तिथि से उनकी समिति की सदस्यता समाप्त हो जायेगी।
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नियम 232-ग-समिति के सभापति की नियुक्ति-
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समिति के सभापति की नियुक्ति विधान सभा के अध्यक्ष द्वारा की जायगी। समिति की बैठक करने के लिये गणपूरक संख्या समिति के सदस्यों की कुल संख्या की एक तिहाई होगी।
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नियम 232-घ-समिति का प्रतिवेदन-
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समिति विधान मण्डल के दोनों सदनों को समय-समय पर पूर्वोक्त सभी या किसी विषय के सम्बन्ध में प्रतिवेदन देगी ।
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नियम 232-ङ-सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति के अधिकार क्षेत्र का विनिश्चय-
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यदि यह प्रश्न उत्पन्न हो कि कोई विषय सार्वजनिक उपक्रम एवं निगम संयुक्त समिति के अधिकार क्षेत्र में आता है अथवा नहीं, तो यह मामला अध्यक्ष, विधान सभा को निर्दिष्ट किया जायेगा और उनका विनिश्चय अन्तिम होगा।
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