Thursday, 21 September 2017

उत्तर प्रदेश – प्रारंभिक भौगोलिक परिचय



    उत्तर प्रदेश – प्रारंभिक भौगोलिक परिचय


उत्तर प्रदेश भारत के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित है। प्रदेश के उत्तरी एवम पूर्वी भाग की तरफ़ पहाड़ तथा पश्चिमी एवम मध्य भाग में मैदान हैं। उत्तर प्रदेश को मुख्यतः तीन क्षेत्रों में विभाजित किया जा सकता है।
1) उत्तर में हिमालय का - यह् क्षेत्र बहुत ही ऊँचा-नीचा और प्रतिकूल भू-भाग है। यह क्षेत्र अब उत्तरांचल के अन्तर्गत आता है। इस क्षेत्र की स्थलाकृति बदलाव युक्त है। समुद्र तल से इसकी ऊँचाई ३०० से ५००० मीटर तथा ढलान १५० से ६०० मीटर/किलोमीटर है।
2) मध्य में गंगा का मैदानी भाग - यह क्षेत्र अत्यन्त ही उपजाऊ जलोढ़ मिट्टी का क्षेत्र है। इसकी स्थलाकृति सपाट है। इस क्षेत्र में अनेक तालाब, झीलें और नदियाँ हैं। इसका ढलान २ मीटर/किलोमीटर है।

3) दक्षिण का विन्ध्याचल क्षेत्र - यह एक पठारी क्षेत्र है, तथा इसकी स्थलाकृति पहाड़ों, मैंदानों और घाटियों से घिरी हुई है। इस क्षेत्र में पानी कम मात्रा में उप्लब्ध है।
यहाँ की जलवायु मुख्यतः उष्णदेशीय मानसून की है परन्तु समुद्र तल से ऊँचाई बदलने के साथ इसमें परिवर्तन होता है। उत्तर प्रदेश 8 राज्यों - उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, बिहार से घिरा राज्य है

भूगोलीय तत्व
उत्तर प्रदेश के प्रमुख भूगोलीय तत्व इस प्रकार से हैं-

1) भूमि 
भू-आकृति - उत्तर प्रदेश को दो विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों, गंगा के मध्यवर्ती मैदान और दक्षिणी उच्चभूमि में बाँटा जा सकता है। उत्तर प्रदेश के कुल क्षेत्रफल का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा गंगा के मैदान में है। मैदान अधिकांशत: गंगा व उसकी सहायक नदियों के द्वारा लाए गए जलोढ़ अवसादों से बने हैं। इस क्षेत्र के अधिकांश हिस्सों में उतार-चढ़ाव नहीं है, यद्यपि मैदान बहुत उपजाऊ है, लेकिन इनकी ऊँचाई में कुछ भिन्नता है, जो पश्चिमोत्तर में 305 मीटर और सुदूर पूर्व में 58 मीटर है। गंगा के मैदान की दक्षिणी उच्चभूमि अत्यधिक विच्छेदित और विषम विंध्य पर्वतमाला का एक भाग है, जो सामान्यत: दक्षिण-पूर्व की ओर उठती चली जाती है। यहाँ ऊँचाई कहीं-कहीं ही 305 से अधिक होती है।

2) नदियाँ
उत्तर प्रदेश में अनेक नदियाँ है जिनमें गंगा, यमुना, बेतवा, केन, चम्बल, घाघरा, गोमती, सोन आदि मुख्य है। प्रदेश के विभिन्न भागों में प्रवाहित होने वाली इन नदियों के उदगम स्थान भी भिन्न-भिन्न है, अतः इनके उदगम स्थलों के आधार पर इन्हें निम्नलिखित भागों में विभाजित किया जा सकता है।

हिमालय पर्वत से निकलने वाली नदियाँ गंगा के मैदानी भाग से निकलने वाली नदियाँ दक्षिणी पठार से निकलने वाली नदियाँ हैं बेतवा, केन, चम्बल आदि प्रमुख हैं
3) झील
उत्तर प्रदेश में झीलों का अभाव है। यहाँ की अधिकांश झीलें कुमाऊँ क्षेत्र में हैं जो कि प्रमुखतः भूगर्भीय शक्तियों के द्वारा भूमि के धरातल में परिवर्तन हो जाने के परिणामस्वरूप निर्मित हुई हैं।
4) नहर
नहरों के वितरण एवं विस्तार की दृष्टि से उत्तर प्रदेश का अग्रणीय स्थान है। यहाँ की कुल सिंचित भूमि का लगभग 30 प्रतिशत भाग नहरों के द्वारा सिंचित होता है। यहाँ की नहरें भारत की प्राचीनतम नहरों में से एक हैं।
5) अपवाह
यह राज्य उत्तर में हिमालय और दक्षिण में विंध्य पर्वतमाला से उदगमित नदियों के द्वारा भली-भाँति अपवाहित है। गंगा एवं उसकी सहायक नदियों, यमुना नदी, रामगंगा नदी, गोमती नदी, घाघरा नदी और गंडक नदी को हिमालय के हिम से लगातार पानी मिलता रहता है। विंध्य श्रेणी से निकलने वाली चंबल नदी, बेतवा नदी और केन नदी यमुना नदी में मिलने से पहले राज्य के दक्षिण-पश्चिमी हिस्से में बहती है। विंध्य श्रेणी से ही निकलने वाली सोन नदी राज्य के दक्षिण-पूर्वी भाग में बहती है और राज्य की सीमा से बाहर बिहार में गंगा नदी से मिलती है।
6) मृदा
उत्तर प्रदेश के क्षेत्रफल का लगभग दो-तिहाई भाग गंगा तंत्र की धीमी गति से बहने वाली नदियों द्वारा लाई गई जलोढ़ मिट्टी की गहरी परत से ढंका है। अत्यधिक उपजाऊ यह जलोढ़ मिट्टी कहीं रेतीली है, तो कहीं चिकनी दोमट। राज्य के दक्षिणी भाग की मिट्टी सामान्यतया मिश्रित लाल और काली या लाल से लेकर पीली है। राज्य के पश्चिमोत्तर क्षेत्र में मृदा कंकरीली से लेकर उर्वर दोमट तक है, जो महीन रेत और ह्यूमस मिश्रित है, जिसके कारण कुछ क्षेत्रों में घने जंगल हैं।

7) जलवायु
उत्तर प्रदेश की जलवायु उष्णकटिबंधीय मानसूनी है। राज्य में औसत तापमान जनवरी में 12.50 से 17.50 से. रहता है, जबकि मई-जून में यह 27.50 से 32.50 से. के बीच रहता है। पूर्व से (1,000 मिमी से 2,000 मिमी) पश्चिम (610 मिमी से 1,000 मिमी) की ओर वर्षा कम होती जाती है। राज्य में लगभग 90 प्रतिशत वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान होती है, जो जून से सितम्बर तक होती है। वर्षा के इन चार महीनों में होने के कारण बाढ़ एक आवर्ती समस्या है, जिससे ख़ासकर राज्य के पूर्वी हिस्से में फ़सल, जनजीवन व सम्पत्ति को भारी नुक़सान पहुँचता है। मानसून की लगातार विफलता के परिणामस्वरूप सूखा पड़ता है व फ़सल का नुक़सान होता है।

8) वनस्पति एवं प्राणी जीवन
राज्य में वन मुख्यत: दक्षिणी उच्चभूमि पर केन्द्रित हैं, जो ज़्यादातर झाड़ीदार हैं। विविध स्थलाकृति एवं जलवायु के कारण इस क्षेत्र का प्राणी जीवन समृद्ध है। इस क्षेत्र में शेर, तेंदुआ, हाथी, जंगली सूअर, घड़ियाल के साथ-साथ कबूतर, फ़ाख्ता, जंगली बत्तख़, तीतर, मोर, कठफोड़वा, नीलकंठ और बटेर पाए जाते हैं। कई प्रजातियाँ, जैसे-गंगा के मैदान से सिंह और तराई क्षेत्र से गैंडे अब विलुप्त हो चुके हैं। वन्य जीवन के संरक्षण के लिए सरकार ने 'चन्द्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य' और 'दुधवा अभयारण्य' सहित कई अभयारण्य स्थापित किए हैं।

उत्तर प्रदेश भौगोलिक स्थिति के ऊपर सामान्यतः परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्न :-
  • उत्तर प्रदेश की लम्बाई और चौड़ाई क्रमश: 650 किमी, 240 किमी है।
  • पूरे भारत में उत्तर प्रदेश का क्षेत्रफल 33 प्रतिशत है।
  • उत्तर प्रदेश को 8 राज्यों एवं एक केन्द्रशासित राज्य की सीमाएं स्पर्श करती हैं।
  • उत्तर प्रदेश के उत्तर में शिवालिक पर्वत श्रेणी का विस्तार है।
  • उत्तर प्रदेश के दक्षिण में विन्ध्य पर्वत श्रेणी का विस्तार है।
  • गोंडवाना लैंड उत्तर प्रदेश की प्राचीनतम भू-खण्ड का एक भाग है।
  • उत्तर प्रदेश के दक्षिण में स्थित पठारों का निर्माण विन्ध्य क्रम की शैलों से हुआ।
  • गंगा-यमुना मैदान में नवीन कॉप निक्षेपों को खादर कहा जाता है।
  • गंगा-यमुना मैदान में प्राचीन कॉप निक्षेपों को बांगर कहा जाता है।
  • तराई क्षेत्र का वह उत्तरी भाग, जहां ककड़-पत्थर और मोटे बालू के निक्षेप मिलते हैं, उन्हें भॉंवर क्षेत्र कहा जाता है।
  • तराई क्षेत्र की भूमि समतल, नम, दलदली होती है।
  • उत्तर प्रदेश का विशाल मैदानी क्षेत्र यमुना और गंडक नदियों के मध्य अवस्थित है।
  • बीहड़ों का निर्माण चम्बल और यमुना नदियों के किनारों पर हुआ है।
  • बुंदेलखंड पठार की औसत ऊंचाई 300 मीटर है।
  • प्रसिद्ध विन्डम जल प्रपात मिर्जापुर में है।
  • चम्बल बेतवा और केन यमुना नदी में दाहिने की छोर पर मिलती हैं
  • भारत में मृदा अवनालिका क्षरण से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र चम्बल घाटी है

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