उत्तर प्रदेश की कृषि पर एग्जाम में अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
- उत्तर प्रदेश में कृषि श्रम उत्पादकता सर्वादिकता पश्चिमी उत्तर प्रदेश में है। कृषि का सबसे अधिक यंत्रीकरण पश्चमी उत्तर प्रदेश में हुआ है। जिससे कम श्रम में अधिकाधिक उत्पादकता प्राप्त होती है।पश्चिमी उत्तर प्रदेश के पश्चात्:मधय, पूर्वी और सबसे कम बुंदेलखंड में कृषि श्रम उत्पादकता है।
- उत्तर प्रदेश का कुल प्रतिवेदित क्षेत्रफल 240.95 लाख हैक्टेयर भूमि है जिसमे से कृषि योग्य 189.88 लाख हैक्टेयर ,अनुसार जन्म खेती के अयोग्य भूमि 0.4 लाख हैक्टयरहै।
- उत्तर प्रदेश एक कृषि प्रधान राज्य है जहाँ कुल कार्यशील जनसंख्या के 59.30% लोग कृषि एवं सम्बन्ध क्षेत्र में नियोजित है | इसमें से 29.0% कृषक व् 3.3% कृषि श्रमिक है।
- उत्तर प्रदेश में उगाई जाने वाली फसलें में सर्वाधिक अवधि अरहर की होती है |तत्पश्चात चना और मसूर की अवधि है |सबसे कम समय अवधि मूंग की (60 दिन ) की होती है |
- आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश में समग्र भारत का 19.54% खादयान्न का उत्पादन होता है।
- खादयान्न उत्पादन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश में प्रथम स्थान पर है। इस सन्दर्भ में पंजाब का दूसरा स्थान जबकि मध्य प्रदेश का तीसरा स्थान है।
- उत्तर प्रदेश के विशाल गंगा - यमुना मैदान , जो प्लीस्टोसीन युग से आज तक विभिन्न नदियों के निरपेक्ष से निर्मित है | इस मैदान में पाये जाने वाली मृदा को जलोढ़ या कचहरी या भात मृदा कहा जाता है।
- जो की कांप मिटटी, कीचड़ एवं बालू से निर्मित है | यह मृदा उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक पायी जाने वाली मृदा है |
- मरुस्थलीय मृदा उत्तर प्रदेश के कुछ पश्चिमी जिलों यथा - मथुरा , आगरा ,अलीगढ। इत्यादि में पायी जाने जाती है। शुष्कता एवं भीषण ताप कारण चट्टानें विखंडित होकर बालू के कणो में परिणत हो जाती है। इसमें लवण एवं फास्फोरस अधिक मात्रा में पाए जाते है।
- जलोढ़ मृदा में प्रचुर मात्रा में पोटाश एवं चुना पाया जाता है।जबकि फास्फोरस , नाइट्रोजन और जीवांश का आभाव पाया जाता है।
- मृदा का PH मान कम होना मृदा का अम्लीयता को तथा PH मान अधिक होना मृदा की क्षारीयता को कम बताता है। अधिक अम्लीय या अधिक क्षारीय मृदा को सामान्य फसलों के लिए उपयुक्त नहीं माना जाता है। सामान्य फसलें उगाई जाने वाली मृदा का PH मान 6.0-7.0 के मध्य होना चाहिए।
- महीन कणो के निपेक्ष से निर्मित तराई क्षेत्र की मृदा समतल , दलदली ,नम और उपजाऊ है। इस मृदा में अत्यधिक जल की आवशयकता वाली फसलें जैसे गन्ना एवं धान की पैदावार अच्छी होती है।
- जो मृदा नदियों द्वारा प्रत्येक बाढ़ के साथ परिवर्तित होती रहती है। उसे खाद्दर या नवीन जलोढ़ मिटटी कहा जाता है। यह मृदा हलके भूरे रंग की ,छिद्र युक्त महीन कणो वाली तथा बांगर की अपेक्षा अधिक जल धारण करने की क्षमता वाली होती है | इस मृदा में चुना ,पोटाश मैगनीशियम तथा जैव -तत्वों की मात्रा अधिक होती है।
मृदा अपरदन के दो प्रमुख प्रकार -
- जलीय अपरदन
- वायु अपरदन
- जलीय अपरदन वायु अपरदन , में से उत्तर प्रदेश में जलीय अपरदन का वायु अपरदन की अपेक्षा अधिक प्रभाव है जबकि वायु अपरदन कुछ खास क्षेत्रों और समयों तक सीमित है।
- परत अपरदन समतल खेतों में बहुत सूक्षम तरीके से होप्ता है जिसे किसान समझ नहीं पाता है और खेतों की उर्वता कम होती रहती है। इस लिए इसे " किसान की मौत " कहा गया है।
- वायु अपरदन से उत्तर प्रदेश का पश्चिमी भाग सबसे ज्यादा प्रभावित है वायु अपरदन से दक्षिण - पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 3200 अकड़ कृषि योग्य भूमि का प्रतिवर्ष विनाश हो रहा है और रेगिस्तान मृदा का प्रतिशत बढ़ रहा है | प्रदेश के आगरा ,मथुरा , इटावा इत्यादि जिले इससे ज्यादा प्रभावित है।
- नकदी फसलों में गन्ना तथा आलू उत्पादन की दष्टि से उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है.| कुल खाद्यान्य उत्पादन के साथ- साथ गेहूँ , जौ तथा अफीम के उत्पादन में भी उत्तर प्रदेश का देश में पहला स्थान है।
- उत्तर प्रदेश की पमुख फसल गेहूं है क्योकि उत्तर प्रदेश के 9.51 मिलियन हैक्टयर क्षेत्र में गेहूँ , 6.03 मिलियन हैक्टयर क्षेत्र में चावल , 2.08 मिलियन हैक्टयर क्षेत्र में गन्ना तथा। 0.80 मिलियन हैक्टयर क्षेत्र में मक्के की खेती की जाती हे |
- इस दर्ष्टि से गेहूं प्रदेश की मुख्य फसल है।
- चने की खेती उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक बुंदेलखंड में होती है।
- गेहूं की खेती उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक उत्पादकता गंगा -घागरा दोआब क्षेत्र में होती है।
- उत्तर प्रदेश में आंवले का सर्वाधिक उत्पादन करने वाला जिला प्रतापगढ़ है।
- प्रतापगढ़ के अलावा इसका उत्पादन रायबेरली , वाराणसी, जोनपुर, सुल्तानपुर आदि जिलों में भी होता है।
- उत्तर प्रदेश में सर्वाधिक क्षेत्रफल वाली आम की प्रजाति दसहरी हे , प्रदेश के मद्यवर्ती और पश्चिमी जिलों में मुख्यत: लखनउ ,बरेली, मेरठ , गाजियाबाद , कानपुर, सहरानपुर , हरदोई आदि जिलों में आम की खेती की जाती है।
- आलू के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का देश में प्रथम स्थान है। , इसके पश्चात् पश्चिम बंगाल और बिहार क्रमश:आलू के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े उत्पादक है।
- उत्तर प्रदेश जौ एवं आलू दोनों के उत्पादन में प्रथम स्थान रखता हे परन्तु दर्ष्टि से आलू का जौ की अपेक्षा उत्पादन अधिक होता है।
- गन्ना राज्य की सबसे महत्वपूर्ण नकद फसल है। राज्य के क्षेत्र में कुल कृषि योग्य क्षेत्र के लगभग 13 % भाग पर गन्ने की खेती की जाती है तथा केवल उत्तर प्रदेश में देश का लगभग 49.8% गन्ना उत्पादित किया जाता है।
राज्य में गन्ना उत्पादन के दो प्रमुख क्षेत्र है -
1. तराई क्षेत्र
2. गंगा - यमुना का दोआब क्षेत्र
- उत्तर प्रदेश में गेहूं का सर्वाधिक उत्पादक जिला गोरखपुर है
- चावल के उत्पादन में उत्तर प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है जबकि प्रथम स्थान पर पश्चिम बंगाल हे। आंध्र प्रदेश एवं पंजाब चावल उत्पादन में क्रमश: तीसरे और चौथे स्थान पर है तथा पंजाब चावल का अतिरेक उत्पादक है जहाँ से देश के अन्य क्षेत्रों में चावल की आपूर्ति की जाती है
कृषि को प्रभावित करने वाले मृदा प्रकार :
वर्षा तापमान जल एवं मानव संसाधन आदि कारको को आधार मानते हुए उत्तर प्रदेश को 9 कृषि जलवायु प्रदेशो बाँटा गया है। जो इस प्रकार है : -भॉंवर तराई क्षेत्र पश्चिमी मैदान मध्य पश्चिमी मैदान , पूर्वी मैदान , दक्षिण पश्चिमी , मध्य मैदान , बुंदेलखंड , उत्तर पूर्वी मैदान , पूर्वी मैदान तथा विंध्य प्रदेश
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