Wednesday, 11 October 2017

अंतर्राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस: 11 अक्टूबर

अंतर्राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस: 11 अक्टूबर 



प्रत्येक वर्ष 11 अक्टूबर को 'अंतरराष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस' मनाया जाता है। विश्वभर में प्रथम अंतरराष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस 11 अक्टूबर 2012 को मनाया गया था। यह संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित वो दिन है जिसमें लड़कियों के लिए अधिक अवसरों का समर्थन किया जाता है। 


 विषय: 

वर्ष 2017 के लिए अंतर्राष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस की थीम "किशोर लड़की की शक्ति- 2030 की दृष्टि" है। वर्तमान समय में बालिकायें हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही है लेकिन वह अभी भी अनेक कुरीतियों का शिकार हैं। आज भी हज़ारों लड़कियों को जन्म लेने से पहले ही या तो मार दिया जाता है या जन्म लेते ही लावारिस छोड़ दिया जाता है। भारत में करीब आधी लडकियां आज भी ऐसी हैं, जिनकी शादियाँ 18 साल के पहले हो जाती हैं। इन शादीशुदा लडकियों में से क़रीब एक चौथाई ऐसी हैं, जो 18 साल के पहले माँ बन जाती हैं।

 इतिहास: 

19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने निर्णय लिया था कि हर साल 11 अक्टूबर अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में मनाया जाएगा। इस दिन की शुरुआत बालिकाओं के अधिकारों की रक्षा करने और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के मकसद से की गई है। इस दिवस को पहली बार साल 2012 में मनाया गया था।

 भारत में बालिकाओं की स्थिति: 


  • अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस पर भारत की बात करें तो बच्चों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था सेव द चिल्ड्रन (Save the children )के मुताबिक शहरी इलाकों में हर 100 में से सिर्फ 14 लड़कियां 12वीं कक्षा तक पढ़ाई कर पाती हैं। 
  • भारत के गांवों के बारे में बात करें तो यहां 100 में से सिर्फ एक लड़की 12वीं कक्षा तक पढ़ पाती है। देश में सिर्फ 33% लड़कियां ही 12वीं कक्षा तक पढ़ पाती हैं। 
  • यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के मुताबिक पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा बाल विवाह बांग्लादेश में होते हैं और इसके बाद दूसरे नंबर पर भारत का नाम आता है।
  • भारत के झारखंड राज्य में करीब 72 लाख ऐसी लड़कियां हैं, जिनकी उम्र 18 साल से कम है। चौंकाने वाली बात ये है कि बाल-विवाह के मामले में झारखंड देश का तीसरा राज्य है, जबकि पहला पश्चिम बंगाल और दूसरा बिहार है।

भारत सरकार द्वारा बालिकाओं के उत्थान के लिए किये गए प्रयास:

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा से "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" अभियान की शुरूआत की गई थी। जिसमें घटते बालिका अनुपात और जीवन चक्र पर देश के 161 जिलों में योजना शुरू की गई। आज करीब ढाई साल हो चुके हैं और अब तक 104 जिलों में कन्या शिशु जन्म अनुपात में वृद्धि की प्रवृत्ति देखी गई है। भारत में इस साल महिला एवं बाल विकास मंत्रालय 9 से 14 अक्टूबर के बीच बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ सप्ताह मना रहा है। जिसका विषय नए भारत की बेटियां है। वहीं दिल्ली स्थित विभिन्न देशों के दूतावास और उच्चायोग 11 अक्टूबर को 'अंतरराष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस' के अवसर पर एक संयुक्त बयान में कहा कि अंतरराष्ट्रीय बालिका शिशु दिवस के अवसर पर हम सभी ये संकल्प लेते हैं कि हम बालिकाओं- महिलाओं की उन्नति के अधिक से अधिक अवसर उत्पन्न करने का प्रयास करेंगे।

 

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